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Showing posts from February, 2019

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--16

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--16 "नीति निर्धारण में जनभागीदारी की उपेक्षा" "विकास"  केवल आर्थिक वृद्धि हीं नहीं, आर्थिक वृद्धि और विकास में बहुत फर्क होता है, विकास एक "उद्देश्य" है और आर्थिक वृद्धि केवल माध्यम। विकास का मतलब यह है कि जीवन की गुणवत्ता बढ़ रही है व आम लोगों के जीवन में सुधार लाया जा रहा है। विकास का दूसरा नाम है ~ #आजादी, भूख से आजादी, बीमारी और गरीबी से आजादी,शोषण से आजादी, असमानता से आजादी, अंधविस्वास से आजादी , हिंसा से आजादी व शिक्षा की आजादी..। अजीब बात यह है कि स्वास्थ्य, शिक्षा व सामाजिक सुरक्षा जीवन की गुणवत्ता व आर्थिक विकास का आधार होने के बावजूद लोकतंत्र में इन मामलों की बात नहीं होती। पिछले चार सालों में केंद्र सरकार ने सामाजिक निति में कोई रुचि नहीं ली, चिकित्साशिक्षा व अभियंत्रण शिक्षा  के लिए ऊपरी आयुसीमा निर्धारित कर चिकित्सा शिक्षा जगत के माफियाओं को फायदा पहुंचाया गया, न्याय की आशा से सभी पीड़ित अभ्यार्थी सर्वोच्च न्यायालय की शरण मे हैं, 2011 में नौकरशाही मनमानी कर UPSC में CSAT लागू होने से  हिंदीभा...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--15

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--15 वसन्त पंचमी - परम् पूजनीय माता सरस्वती को नमन हमारे वंदनीय गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरितमानस की रचना करते समय प्रथमपूज्य श्रीगणेशजी से पहले परम् वंदिता माता सरस्वती की वंदना करते हैं जिसका वर्णन उन्होंने अपनी रचना के पहले श्लोक में किया है ; वर्णानामर्थसंघानां रसानां छन्दसामपि। मंगलानां च कर्त्तारौ वन्दे वाणीविनायकौ॥ भावार्थ:-अक्षरों, अर्थ समूहों, रसों, छन्दों और मंगलों को करने वाली सरस्वतीजी और गणेशजी की मैं वंदना करता हूँ॥ माँ सरस्वती हमारे व सम्पूर्ण जगत के मानवजाती की जड़ता, दुराग्रह, पूर्वाग्रह व अन्य समस्त विकारों को दूर कर सबके हृदय में परोपकार व मानवता का सृजन करें या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना। या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥१॥ श्लोक अर्थ - जो विद्या की देवी भगवती सरस्वती कुन्द के फूल, चन्द्रमा, हिमराशि और मोती के हार की तरह धवल वर्ण की हैं और जो श्वेत वस्त्र धारण करती हैं, जिनके...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--14

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--14 अल्पसंख्यकवाद बनाम बहुसंख्यकवाद राजनैतिक परिदृष्य 2011-2015 में देश के लिए काबिल प्रशासनिक अधिकारीयों के चयन हेतु UPSC में CSAT प्रयोग हो या देश की चिकित्सा शिक्षा के लिए संचालित एकल प्रवेश परीक्षा NEETug और अभियंत्रण शिक्षा के लिए संचालित प्रवेश परीक्षा JEE Main & Advance के लिए ऊपरी आयुसीमा निर्धारण का मामला हो , मतलब प्रतियोगिता परीक्षा रोजगारपरख हों या शिक्षा प्राप्त करने हेतु, हासिये पर स्थित वंचित युवा अभ्यर्थियों को परिष्कृत करने की नौकरशाही निति से राष्ट्र के मानव संसाधन का जिस प्रकार प्रताड़ित करने का काम कर रही है ये राष्ट्र की प्रगति के लिए अशुभ संकेत हैं। प्रतियोगिता परीक्षाओं में प्रवेश के लिए नव-निर्धारित पात्रता, परीक्षा की पवित्रता व प्रणाली में नए नए परिकल्पनाओं के नवोन्मेष से व्यथित होकर हमारे जुनूनी जज्बे से ओतप्रोत हमारे जाँवाज जवान युवा साथी या तो सड़कों पर धरने प्रदर्शन कर रहे हैं, पैदल मार्च कर रहे हैं, अपनी मांगों के संदर्भ को सोशल मीडिया नेटवर्किंग में ट्रेंड (पत्राचार इत्यादि) कर सम्बंधित लोगों तक अपनी बात...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--13

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--13 #मेरा_राष्ट्रवाद_और_राष्ट्रीय_मतदाता_दिवस मेरा #राष्ट्रवाद में शब्द शक्ति (वह लिखित शब्दों की हो या मौखिक संबंधों ) की अपेक्षा विचारशक्ति में अधिक विश्वास करता हूं । मेरे लिए राष्ट्रीयता और मानवता एक ही चीज है। मैं राष्ट्र भक्त इसलिए हूं कि मैं मानव और सहृदय हूं। मेरी राष्ट्रीयता एकांतिक नहीं है। जिस राष्ट्रवाद में मानवतावाद के प्रति उत्साह कम है वह उतना ही कम राष्ट्रवाद भी माना जाएगा। राष्ट्रवाद बुरी चीज नहीं है, बुरी है संकुचित वृति, स्वार्थपरता और एकांकिकता, जो आधुनिक राष्ट्र के विनाश के लिए उत्तरदायी है। भारतीय राष्ट्रवाद समूची मानवता के हित व उसकी सेवा के लिए स्वयं को संगठित करना यानी पूर्ण आत्माभिव्यक्ति की स्थिति को प्राप्त करना चाहता है।  यदि मैं भारतवासियों की सेवा न कर सका तो मैं मानवता की सेवा करने के योग्य भी नहीं बन पाऊंगा। मेरी राष्ट्रभक्ति में सामान्यतया सारी मानव जाति की भलाई समाविष्ट है। इस प्रकार मेरी भारत-सेवा में मानवता की सेवा समाविष्ट है।  #राष्ट्रीय_मतदाता_दिवस की शुरुआत आठ वर्ष पहले 25 जनवरी 2011को भारत ...