#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-18
#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-18 नारी गरिमा और युवा उत्तरदायित्व यह सोचकर हमें बहुत दुख होता है कि { एक नजर भारतीय इतिहास के पन्नों में देखें तो } न जाने कितने हीं बार विदेशियों ने आक्रमण किये हमारे देश पर, उतना पतन नहीं हुआ जितना पतन पिछले 70 सालों में हमारी शिक्षा व संस्कारों में हुआ। पता नहीं हम सृजनात्मक या विनाशकारी प्रगतिशील हैं। किसी राष्ट्र के प्रगति/विकास/सभ्यता का मापदंड इससे होता है कि उस राष्ट्र में नारी का कितना सम्मान होता है। जिस राष्ट्र को हमारे यशस्वी मनीषियों ने "माँ" 【 भारत माता 】 की संज्ञा दी थी, उस राष्ट्र में नारी सम्मान के प्रति इतनी उदासीनता !! "आपने बहुत अच्छा स्तम्भ लिखा है" केवल इतना भर कहना स्तम्भ में निहित सन्दर्भों/कथानक का केवल अपमान हीं नहीं, उपहास भी होगा। आपने बेहद संवेदनशील पहलुओं को बखूबी शब्दों में ढाला है। समाज में छुपे अदृश्य कुसंस्कारों को बीच चौराहे पर लाकर पुरुष समाज में आत्ममंथन का जो विषय बनाने का साहस किया है, हम इसके लिए आपकी प्रशंसा करते हैं। स्तम्भ में जिन पहलुओं की चर्चा हुई है, निश्चय हीं बड़े दुःख की बा...