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Showing posts from September, 2021

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_52

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हमारी कविता संग्रह  जिंदगी बस वो जिंदगी है.! ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है.! न उमंग है,  न तरंग है न खुशी है, न शुकुन है, जिंदगी बस वो जिंदगी है जहाँ अपने हों, अपनापन हो… ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है.! हर तरफ बेबसी, हर तरफ घुटन हर तरफ चीख, हर तरफ जख्म, जिंदगी बस वो जिंदगी है जहाँ अमन हो, शांति हो… ये जिंदगी भी कोई जिंदगी हो.! जहाँ बस यादें हों, बस सपने हों जब चाहूँ मिलना, रहें अंधेरी हों, जिंदगी बस वो जिंदगी है जब भी सोचूँ मिलना, वो सामने हो… ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है.! जहाँ तृष्णा हों, जहाँ तड़पन हों जहाँ दूरी हो, जहाँ मजबूरी हो, जिंदगी बस वो जिंदगी है मेरे जख्मों पर उनका मरहम हो… ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है.! जहाँ आप हों पर मुलाकात न हों जहाँ साथ हों पर बात न हों, जिंदगी बस वो जिंदगी है जब बोलूं कुछ न, सुन ले सबकुछ… ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है.! जहाँ मिलने को जी चाहे पर कदम न बढ़े बातें बहुत हों पर सामने मुँह न खुले, जिंदगी बस वो जिंदगी है मैं दर्द में रहूँ तो दुःखी आप हों… ये जिंदगी भी कोई जिंदगी है.! जहाँ व्यथा न अपनी बोल सकूँ जहाँ मन क...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_51

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हमारी कविता संग्रह - 03 न किसी ने सराहा... न  किसी  ने सराहा , न  किसी  का  सहारा मैं उतना ही जिया, जितना खुद को निखारा लोग लुटते भी  रहे, और लोग लूटते भी रहे मैं जहाँ भी गया, हर तरफ बस यही था नजारा मैं उतना ही जिया... हर तरफ हाथों में डंडे, हर सर खून से लतपत ऐसे भी कितनों का चलेगा कब तक गुजारा मैं उतना ही जिया... टूटती साँसें, चीखते स्वजन, बिलखती आवाजें ऐसे हालात में इंशां का न होगा जीना गवारा मैं उतना ही जिया... हमें आपसे है ढेरों उम्मीदें, इसका खयाल रखियेगा यों तो बहुत लोग मिले मुझसे, सबसे किया किनारा मैं उतना ही जिया... ये जो दुनियाँ है रंगबिरंगी, सब झूठे हैं, दिल सूने हैं दो कदमों के साथ बस,सबने खुद को खुद हीं सँवारा मैं उतना ही जिया....