#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_55
एक बहुत ही प्यारा सा गजल ; ♥️🌹 वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो “मोमिन ख़ाँ मोमिन” वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद हो वही या'नी वा'दा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो वो जो लुत्फ़ मुझ पे थे बेशतर वो करम कि था मिरे हाल पर मुझे सब है याद ज़रा ज़रा तुम्हें याद हो कि न याद हो वो नए गिले वो शिकायतें वो मज़े मज़े की हिकायतें वो हर एक बात पे रूठना तुम्हें याद हो कि न याद हो कभी बैठे सब में जो रू-ब-रू तो इशारतों ही से गुफ़्तुगू वो बयान शौक़ का बरमला तुम्हें याद हो कि न याद हो हुए इत्तिफ़ाक़ से गर बहम तो वफ़ा जताने को दम-ब-दम गिला-ए-मलामत-ए-अक़रिबा तुम्हें याद हो कि न याद हो कोई बात ऐसी अगर हुई कि तुम्हारे जी को बुरी लगी तो बयाँ से पहले ही भूलना तुम्हें याद हो कि न याद हो कभी हम में तुम में भी चाह थी कभी हम से तुम से भी राह थी कभी हम भी तुम भी थे आश्ना तुम्हें याद हो कि न याद हो सुनो ज़िक्र है कई साल का कि किया इक आप ने वा'दा था सो निबाहने का तो ज़िक्र क्या तुम्हें याद हो कि न याद हो कहा मैं ने बा...