#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--12
#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष
#एपिसोड-12
#मजबूत_उत्तरदायी_विपक्ष :- #स्वस्थ्य_लोकतंत्र
आज जहाँ विश्व के अन्य देश मे बुजुर्गों की तादात बेतहासा बढ़ रही है वहीं हमारा लोकतांत्रिक गणराज्य 65% युवाओं के साथ युवान होता जा रहा है जो हमारे लिए गौरव की बात है।
#न्यू_इंडिया के युवाओं की राजनैतिक सूझ-बूझ तब जैसी नहीं जब किसी नेता के आते हीं चाटुकारिता सुरु हो जाती थी, काफी भीड़ इकट्ठी हो जाती थी, नेताजी की एक ललक पाने को बेताब रहते थे। बात तो तब मोक्ष जैसी लगती थी जब गलती से भी नेता जी की मुस्कुराती नजर पड़ जाए और हाल चाल पूछ लें। अब की स्थितियां बिल्कुल बदल सी गई है, आज सभी युवा वो ग्रामीण हों चाहे शहरी वंचित, सभी पत्रकारिता व विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक हो चुके हैं, वो नेताओं की हरेक गतिविधियों को बारीकी से समझते हैं और वो समझते हैं कि कौन प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जीतकर हमारे चर्मोत्कर्ष के लिए नीतियाँ बनाएगा।
एकतरफ जहाँ विपक्ष नई गठबंधन को सृजित कर वर्तमान सरकार को उठा फेंकने को उद्धत है वहीं वर्तमान सरकार भी अच्छे प्रत्याशी चयनित करने में रुचि नहीं ले रही, इससे तो जनमानस का भला कतई नहीं होने वाला।
मजबूत विपक्ष हीं लोकतांत्रिक गणराज्य को सुचारू रख सकती है। कई बार सरकार द्वारा ऐसा कार्य भी किया जाता है या निर्णय लिया जाता है तो जनता के हितों के अनुरूप नहीं होता। अगर इसके बावजूद सरकार अपना अड़ियल रूख छोड़ने को तैयार न हो तो विपक्ष सदन के भीतर और बाहर अपना विरोध प्रकट कर सकता है। सरकार कई बार अपने किसी स्वार्थ में राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखा करके भी कोई निर्णय लेना चाहती है परन्तु विपक्ष ऐसे समय में चुप नहीं बैठ सकता। लोकतंत्र में विरोधी दलों का होना लोकतंत्र के लिए शुभ, स्वास्थ्यकर ही नहीं अनिवार्य है। यदि देश में एक ही दल हो, उसका विरोध करनेवाला कोई न हो तो वहाँ लोकतंत्र के स्थान पर तानाशाही होने लगती है। इन्दिरा गांधी देश में आपातकाल की घोषणा कर विरोधी दल के होते हुए भी तानाशाह बन गयी थीं। विरोधी दल होने पर सत्तारूढ़ दल और उसकी सरकार निरंकुश नहीं बन पाती, मनमानी नहीं कर सकती। विदेशी विद्वान ने लिखा है, “मान्यताप्राप्त विरोधी दल की उपस्थिति से निरंकुशता के मार्ग में बाधा पड़ती है।” विरोधी दल सत्तारूढ़ सरकार को, शासन-तंत्र को मर्यादित करते हैं। वे समय-समय पर सरकार की नीतियों, उनकी कार्यपद्धति, उनके कार्यकलाप की त्रुटियाँ, गल्तियाँ, विसंगतियाँ बताकर और जनता को सचेत करते हैं दूसरी ओर सरकार को चेतावनी देते हैं कि गल्तियाँ बताकर और जनता को इस बात से अवगत करा कर कि उसकी नीतियों से जनता और देश का कितना अहित हो रहा है एक ओर वे अपने भविष्य में सत्ता पाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं तथा दूसरी और देश का अहित नहीं होने देतीं।
ऐसी स्थिति में यदि विपक्षी गठबन्धन का निर्माण हो रहा है तो ये स्वस्थ्य लोकतांत्रिक व्यवस्था में मिल का पत्थर साबित होगा बशर्ते ऐसी गठबंधन मौकापरस्त व मौसमी न हों, टिकाऊ हों, वे राष्ट्र के प्रति अपनी जवाबदेही को समझें, किसी दुराग्रह व पूर्वाग्रहों से ग्रसित न हों।
वहीं दूसरी तरफ वर्तमान सरकार के सम्भावित प्रत्याशी अपने क्षेत्रों में युवाओं, महिलाओं व किसानों की समस्याओं से न अवगत हो केवल वोट-ठीकेदारों में अपनी पैठ बना रहे हैं, मगर आज सभी जागरूक हो चुके हैं,अपने हित-अनहित की बात समझते हैं। अतः सभी राजनैतिक पार्टियों को चाहिए कि ऐसे उम्मीदवार को प्रतिनिधित्व का अवसर दें जिनकी पैठ युवाओं,महिलाओं व किसानों तक हों इससे न केवल स्वस्थ्य लोकतंत्र गठित होगा वरन एक उन्नत गणतंत्र का भी निर्माण होगा...
वन्देमातरम, जय हिंद
अक्षय आनन्द श्री
#एपिसोड-12
आज जहाँ विश्व के अन्य देश मे बुजुर्गों की तादात बेतहासा बढ़ रही है वहीं हमारा लोकतांत्रिक गणराज्य 65% युवाओं के साथ युवान होता जा रहा है जो हमारे लिए गौरव की बात है।
#न्यू_इंडिया के युवाओं की राजनैतिक सूझ-बूझ तब जैसी नहीं जब किसी नेता के आते हीं चाटुकारिता सुरु हो जाती थी, काफी भीड़ इकट्ठी हो जाती थी, नेताजी की एक ललक पाने को बेताब रहते थे। बात तो तब मोक्ष जैसी लगती थी जब गलती से भी नेता जी की मुस्कुराती नजर पड़ जाए और हाल चाल पूछ लें। अब की स्थितियां बिल्कुल बदल सी गई है, आज सभी युवा वो ग्रामीण हों चाहे शहरी वंचित, सभी पत्रकारिता व विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक हो चुके हैं, वो नेताओं की हरेक गतिविधियों को बारीकी से समझते हैं और वो समझते हैं कि कौन प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जीतकर हमारे चर्मोत्कर्ष के लिए नीतियाँ बनाएगा।
एकतरफ जहाँ विपक्ष नई गठबंधन को सृजित कर वर्तमान सरकार को उठा फेंकने को उद्धत है वहीं वर्तमान सरकार भी अच्छे प्रत्याशी चयनित करने में रुचि नहीं ले रही, इससे तो जनमानस का भला कतई नहीं होने वाला।
मजबूत विपक्ष हीं लोकतांत्रिक गणराज्य को सुचारू रख सकती है। कई बार सरकार द्वारा ऐसा कार्य भी किया जाता है या निर्णय लिया जाता है तो जनता के हितों के अनुरूप नहीं होता। अगर इसके बावजूद सरकार अपना अड़ियल रूख छोड़ने को तैयार न हो तो विपक्ष सदन के भीतर और बाहर अपना विरोध प्रकट कर सकता है। सरकार कई बार अपने किसी स्वार्थ में राष्ट्रीय सुरक्षा को अनदेखा करके भी कोई निर्णय लेना चाहती है परन्तु विपक्ष ऐसे समय में चुप नहीं बैठ सकता। लोकतंत्र में विरोधी दलों का होना लोकतंत्र के लिए शुभ, स्वास्थ्यकर ही नहीं अनिवार्य है। यदि देश में एक ही दल हो, उसका विरोध करनेवाला कोई न हो तो वहाँ लोकतंत्र के स्थान पर तानाशाही होने लगती है। इन्दिरा गांधी देश में आपातकाल की घोषणा कर विरोधी दल के होते हुए भी तानाशाह बन गयी थीं। विरोधी दल होने पर सत्तारूढ़ दल और उसकी सरकार निरंकुश नहीं बन पाती, मनमानी नहीं कर सकती। विदेशी विद्वान ने लिखा है, “मान्यताप्राप्त विरोधी दल की उपस्थिति से निरंकुशता के मार्ग में बाधा पड़ती है।” विरोधी दल सत्तारूढ़ सरकार को, शासन-तंत्र को मर्यादित करते हैं। वे समय-समय पर सरकार की नीतियों, उनकी कार्यपद्धति, उनके कार्यकलाप की त्रुटियाँ, गल्तियाँ, विसंगतियाँ बताकर और जनता को सचेत करते हैं दूसरी ओर सरकार को चेतावनी देते हैं कि गल्तियाँ बताकर और जनता को इस बात से अवगत करा कर कि उसकी नीतियों से जनता और देश का कितना अहित हो रहा है एक ओर वे अपने भविष्य में सत्ता पाने का मार्ग प्रशस्त करती हैं तथा दूसरी और देश का अहित नहीं होने देतीं।
ऐसी स्थिति में यदि विपक्षी गठबन्धन का निर्माण हो रहा है तो ये स्वस्थ्य लोकतांत्रिक व्यवस्था में मिल का पत्थर साबित होगा बशर्ते ऐसी गठबंधन मौकापरस्त व मौसमी न हों, टिकाऊ हों, वे राष्ट्र के प्रति अपनी जवाबदेही को समझें, किसी दुराग्रह व पूर्वाग्रहों से ग्रसित न हों।
वहीं दूसरी तरफ वर्तमान सरकार के सम्भावित प्रत्याशी अपने क्षेत्रों में युवाओं, महिलाओं व किसानों की समस्याओं से न अवगत हो केवल वोट-ठीकेदारों में अपनी पैठ बना रहे हैं, मगर आज सभी जागरूक हो चुके हैं,अपने हित-अनहित की बात समझते हैं। अतः सभी राजनैतिक पार्टियों को चाहिए कि ऐसे उम्मीदवार को प्रतिनिधित्व का अवसर दें जिनकी पैठ युवाओं,महिलाओं व किसानों तक हों इससे न केवल स्वस्थ्य लोकतंत्र गठित होगा वरन एक उन्नत गणतंत्र का भी निर्माण होगा...
वन्देमातरम, जय हिंद
अक्षय आनन्द श्री

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