#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_21
#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_21 【 दिनांक 29.01.2020 को एडिट किया गया है 】 नारी गरिमा और युवा उत्तरदायित्व सन् 2012 , उस समय मैं एम. आर. एम. सी. गुलबर्गा के द्वितीय वर्ष का छात्र था। तब मेरे पास सोनी का एक लेपटॉप हुआ करता था, इंटरनेट की स्थिति तब उतनी अच्छी नहीं थी। इंटरनेट का उपयोग करने के लिए कॉलेज के लाइब्रेरी में क्लास आवर के बाद जाना होता था। खबरों के लिए मुख्यतः समाचार पत्रों पर हीं निर्भर होना पड़ता था, आज की तरह इंटरनेट की स्थिति तब अच्छी नहीं थी। सुबह सुबह समाचार पत्र में दिल्ली की अमानवीय घटना के बारे में विस्तार से पढ़ा की 16 दिसम्बर की रात, दिल्ली की कपकपाती ठण्ड मे छः हवसी दरिंदों ने एक छात्र के साथ हैवानियत की सारी हदें पार कर दी। मानवता के सीने को विदीर्ण करती हुई एक खौफनाक मंजर, चलती बस में हवसी दरिंदों ने एक राह चलती पैरामेडिकल की छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म किया। हमलोगों ने सड़कों पर दोषियों को अविलम्ब फाँसी देने के लिए रैलियां की, जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपे। महीनों तक घटना को याद कर रूह कांप जाती थी। पर हुआ वही जो अन्य सभी मामले में न्यायपालिका में होती है ...