छठ महापर्व : नारी शक्ति की पूजा, एपिसोड:- 66
सांस्कृतिक पृष्टभूमि में आर्यों की #सूर्योपासना की शास्त्रोक्त परम्परा से कुछ भिन्न रूप में सूर्य के #सविता रूप की पूजा शुरू हुई। ऋग्वेद में सूर्य को “जगत की आत्मा” कहा गया है। जबकि सूर्योपनिषद में सूर्य को ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र का ही रूप कहा गया है। भारतीय समाज मे शुरू से ही सूर्य को आरोग्य प्रदान करने वाला एक प्रत्यक्ष देवता माना जाता रहा है। भारतीय परम्परा के अनुसार सूर्य की दो पत्नियां हैं - ऊषा और प्रत्युषा, सूर्य की पत्नी होने के साथ उनकी दो प्रमुख शक्तियां भी हैं। सूर्य-षष्ठी के अवसर पर मनाए जाने वाले लोकपर्व को छठ पर्व कहा जाता है। छठ, दरअसल,सूर्यदेव की उपासना के कहीं अधिक उनकी शक्तियों की उपासना का एक लोकपर्व है। प्रमुख रूप से सूर्यदेव की दोनों शक्तियों ऊषा एवं प्रत्युषा की उपासना किये जाने के कारण सूर्य-षष्ठी पर्व को समान्यतः “छठ मैया की पूजा” के नाम से जाना जाता है। ऋग्वैदिककाल से ही 'छठ मैया' लोककल्याणकरी देवी के रूप में पूजी जाती रही है। कार्तिक शुक्लपक्ष षष्ठी को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देते हुए छठ-व्रती सूर्य व प्रत्य...