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Showing posts from October, 2021

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_54

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हमारी कविता संग्रह : उफ्फ मेरा चाँद न जाने कितनों को दीवाना बनाएगा कभी दीवाना हुआ बादल कभी दीवाने हुए कायल उफ्फ मेरा चाँद… न जाने कितनों को भला तड़पायेगा कभी यह घन में छुपता कभी यह मन में छुपता उफ्फ मेरा चाँद… न जाने कौन सी पीड़ को छुपाता दिल में कभी इसका आकार घटता-बढ़ता कभी तन पे में काला धब्बा दिखता उफ्फ मेरा चाँद… न जाने कौन सी अदा है इसके फलक पर कभी इसमें महबूब नजर आए कभी इसमें महबूबा नजर आए उफ्फ मेरा चाँद… न जाने कब तृप्त होंगे मन भी नयन भी कभी कोई चकोर रात भर तकता  कभी दीवाना दिनभर आहें भरता उफ्फ मेरा चाँद… न जाने मेरे चाँद को किसकी नजर लगी कभी अमावस की रात होती है कभी नभ में बदल घुमड़ते हैं उफ्फ मेरा चाँद… न जाने चाँद के चांदनी की शीतलता मिलेगी कभी बरगद के पेड़ों से ओझल होती हैं कभी वो बदल के पीछे छुप जाती है उफ्फ मेरा चाँद…

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_53

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हमारी कविता संग्रह : “आपसे बिछड़े तो…” आपसे यदि बिछड़े तो, हम खूब रोया करेंगे जब भी याद आएंगे आप, हम पुकारा करेंगे बड़े बेबस, लाचार और मजबूर हैं अभी हम तो क्या कहूँ आपको कहने से और उलझ जाएंगे आपसे यदि बिछड़े तो… समय से पीछे होने की सजा वक्त न दे मुझको आपसे बिछड़ के किसी और के भी न हो पाएंगे आपसे यदि यदि बिछड़े तो… आप सा हमसफर न मिला न मिल सकेगा मुझे आप सोचिए भला आपके बगैर कैसे जी पाएंगे आपसे यदि… आप हैं, हम हैं, ये वादियाँ हैं और सुहाना सफर हम जब मिलेंगे तो आपको हरदम सँवारा करेंगे आपसे यदि बिछड़े तो… #आशा   #बेबसी   #लगाव