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Showing posts from January, 2019

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--12

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-12 #मजबूत_उत्तरदायी_विपक्ष :- #स्वस्थ्य_लोकतंत्र आज जहाँ विश्व के अन्य देश मे बुजुर्गों की तादात बेतहासा बढ़ रही है वहीं हमारा लोकतांत्रिक गणराज्य 65% युवाओं के साथ युवान होता जा रहा है जो हमारे लिए गौरव की बात है। #न्यू_इंडिया के युवाओं की  राजनैतिक सूझ-बूझ तब जैसी नहीं जब किसी नेता के आते हीं चाटुकारिता सुरु हो जाती थी, काफी भीड़ इकट्ठी हो जाती थी, नेताजी की एक ललक पाने को बेताब रहते थे। बात तो तब मोक्ष जैसी लगती थी जब गलती से भी नेता जी की मुस्कुराती नजर पड़ जाए और हाल चाल पूछ लें।  अब की स्थितियां बिल्कुल बदल सी गई है, आज सभी युवा वो ग्रामीण हों चाहे शहरी वंचित, सभी पत्रकारिता व विभिन्न सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूक हो चुके हैं, वो नेताओं की हरेक गतिविधियों को बारीकी से समझते हैं और वो समझते हैं कि कौन प्रत्याशी लोकसभा चुनाव में जीतकर हमारे चर्मोत्कर्ष के लिए नीतियाँ बनाएगा। एकतरफ जहाँ विपक्ष नई गठबंधन को सृजित कर वर्तमान सरकार को उठा फेंकने को उद्धत है वहीं वर्तमान सरकार भी अच्छे प्रत्याशी चयनित करने में रुचि नहीं ले रही, इससे ...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--11

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--11 समान शिक्षा:-समरस समाज की जननी #आजादी_के_इकहत्तर_साल मनुष्य की मानसिक शक्ति के विस्तार हेतु शिक्षा एक अनिवार्य प्रक्रिया है स्त्री हो या पुरुष किसी को शिक्षा से वंचित रखना उसकी मानसिक क्षमता विकसित होने से रोक देना है। पूर्ण व सुचारू शिक्षा न मिलने से महिला या पुरुष बाहर के उत्तरदायित्वपूर्ण कार्यों का भार उठाने में असमर्थ होते हैं। शिक्षा के माध्यम से जो ज्ञान, कौशल, जीवनमूल्य और दृष्टिकोण हासिल किया जाता है उससे वह स्वजीवन व अपने समाज  में मनचाही गुणवत्ता ला सकता है और आने वाली पीढ़ियों का पथ प्रदर्शन प्रभावशाली ढंग से कर सकता है क्योंकि बच्चे किसी भी राष्ट्र के भावी जीवन की आधारशिला होते हैं। ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ 【 मगर ध्यान रहे, विवेकहीन शिक्षा/ज्ञान मनुष्य को पतन की ओर अग्रसर करती है... अतः हम विवेकपूर्ण व मानवीय मूल्यों से युक्त शिक्षा की बात कर रहे हैं क्योंकि जब हम अपने समाज में अवलोकन करते हैं तो पाते हैं कि केवल साक्षर भी अपने समाज के असहायों के दुख दर्द को महशुस कर यथा सामर्थ्य उनका निदान करते हैं वहीं समाज के सम्भ्र...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--10

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-10 #गोपालदास_नीरज #जयंती ...✍️🎂 राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी द्वारा  #हिंदी_साहित्य_की_वीणा से अलंकृत इटावा(उप्र) के पुरावली में जन्मे पद्मश्री व पद्मभूषण से अलंकृत अनमोल सदाबहार हिंदी छंदों/गीतों/नज्मों के रचयिता युवाओं के परमप्रिय साहित्यकार गीतकार #गोपालदास_नीरज की आज 4थी जनवरी को 94वीं जयंती है, सादर नमन 🎂🎂🎂🎂 नीरज जी द्वारा रचिय कुछ सदाबहार छंद जो उन्हें अविस्मरणीय व युवा के हृदयरत्न बनाते हैं 01. मैं पीड़ा का राजकुँवर हूँ तुम शहज़ादी रूप नगर की हो भी गया प्यार हम में तो बोलो मिलन कहाँ पर होगा ? मीलों जहाँ न पता खुशी का मैं उस आँगन का इकलौता, तुम उस घर की कली जहाँ नित होंठ करें गीतों का न्योता, मेरी उमर अमावस काली और तुम्हारी पूनम गोरी मिल भी गई राशि अपनी तो बोलो लगन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का… मेरा कुर्ता सिला दुखों ने बदनामी ने काज निकाले तुम जो आँचल ओढ़े उसमें नभ ने सब तारे जड़ डाले मैं केवल पानी ही पानी तुम केवल मदिरा ही मदिरा मिट भी गया भेद तन का तो मन का हवन कहाँ पर होगा ? मैं पीड़ा का… मैं जन्मा...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--09

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपीसोड-09 #साल_नया_जख्म_पुराने #क्या_खोया_क्या_पाया गुजरे हुए वक्त के हासिल का हिसाब लगाना आसान नहीं होता और मिलन/वियोग,नफा/नुकसान के बटवारे को तौलना भी ठीक नहीं #नववर्ष का क्या ये तो फिर आएगा बस जिंदगी चलते रहनी चाहिए.. जीवन में जिज्ञासा,जिजीविषा व जुनून में उत्तरोत्तर वृद्धि हो बस #भावना_मन_में_बदले_की_हो_न इतनी शक्ति हमें दे न दाता मनका विश्वास कमज़ोर हो ना हम चलें नेक रास्ते पे हमसे भूलकर भी कोई भूल हो ना... हर तरफ़ ज़ुल्म है बेबसी है सहमा-सहमा-सा हर आदमी है पाप का बोझ बढ़ता ही जाये जाने कैसे ये धरती थमी है बोझ ममता का तू ये उठा ले तेरी रचना का ये अन्त हो ना... हम चले... दूर अज्ञान के हो अन्धेरे तू हमें ज्ञान की रौशनी दे हर बुराई से बचके रहें हम जितनी भी दे, भली ज़िन्दगी दे बैर हो ना किसीका किसीसे भावना मन में बदले की हो ना... हम चले... हम न सोचें हमें क्या मिला है हम ये सोचें किया क्या है अर्पण फूल खुशियों के बाटें सभी को सबका जीवन ही बन जाये मधुबन अपनी करुणा को जब तू बहा दे करदे पावन हर इक मन का कोना... हम चले... ह...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--08

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-08 ...✍️ मेरे नदीम मेरे हमसफ़र उदास न हो कठिन सही तेरी मन्जिल मगर उदास न हो हर एक तलाश के रास्ते में मुश्किलें हैं मगर हर एक तलाश मुरादों के रंग लाती है हजारों चाँद सितारों का खून होता है तब एक सुबह फ़िजाओं पे मुस्कुराती है मेरे नदीम मेरे हमसफ़र... जो अपने खून को पानी बना नहीं सकते वो जिंदगी में नया रंग ला नहीं सकते जो रास्ते के अँधेरों से हार जाते हैं वो मंजिलों के उजाले को पा नहीं सकते मेरे नदीम मेरे हमसफ़र... ....साहिर लुधियानवी #यदि आप.... ★यदि आप अपने मन मस्तिष्क पर उस समय भी नियंत्रण रख सको जब आपके चारों ओर सब लोग अपने मन मस्तिष्क का संतुलन खो चुके हो और सारा दोष आपके मत्थे मढ़ रहे हो ★यदि आप स्वयं पर विश्वास रख सको जब सब लोग आप पर संदेह कर रहे हों किंतु उनके संदेह के लिए भी आप में गुंजाइश देने की उदारता हो ★यदि आप प्रतीक्षा कर सको और प्रतीक्षा करते थको नहीं अथवा लोगों द्वारा मिथ्या आरोपों के शिकार होने पर भी स्वयं मिथ्या का सहारा ना लो अथवा लोगों से घृणा पाकर भी आप घृणा का सहारा ना लो और फिर भी आवश्यकता से अधिक भला ...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--07

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-07 प्रतियोगिता परीक्षाओं में ऊपरी आयुसीमा और व्याप्त आर्थिक विषमता वेद कहता है : "नहीं दरिद्र सम दुःख जग माही" अर्थात दरिद्रता से बढ़कर कोई दुख नहीं, "दरिद्रता" दुःख हीं नहीं अपितु समस्त दुःखों की जननी है... अतः हमें सर्वप्रथम हमारे समाज में व्याप्त गरीबी को जड़समूल दूर कर/करने के लिए विष्मतापोषित ग्रामीण युवा अभ्यर्थियों के लिए प्रतियोगिता परीक्षाओं में स्वतन्त्र अवसर प्रदान कर समाजिक न्याय के साथ राष्ट्रकल्याण सुनिश्चित करना होगा।  आज हम सबों के लिए कितने दुख की बात/विडंबना है की आजादी के इकहत्तर साल बीतने के बाद भी देश की बहुत बड़ी आबादी लगभग 60% गरीबी, भुखमरी, अशिक्षा, बेरोजगारी से जूझ रही है जबकि आजादी के नायकों ने देश के लिए जो स्वर्णिम स्वप्न देखे थे वो समय के साथ धूमिल होते गए। ऐसा नहीं कि हमारे देश मे संशाधनों की कमी थी, इन संसाधनों का कुछ मुठ्ठी भर लोगों ने दोहन किया, अपने निहित स्वार्थ की पूर्ति की जिससे एक तरफ जहाँ कुछ लोगों ने अकूत धनसंचय किया वहीं दूसरी ओर एक बहुत बड़ी आबादी दो वक्त की रोटी के भी लाले पड़ रहे ह...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--06

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड-06 दीपावली- ये कैसी दिवाली..?? कहीं दीप जले कहीं अरमान सर्वप्रथम आप सभी को दीपावली की शुभकामनाएं, ईश्वर हम सभी को तिमिर सिंधु से प्रकाश क्षेत्र की ओर की राह प्रशस्त करें, प्रेरणा दें, मार्गदर्शन करें व संघर्ष करने की शक्ति दें क्योंकि ईश्वर हीं अंतिम सत्य है जहां से हमें प्रेरणा मिलती है व एक आशा व दृढ़विश्वास होता है कि जरूर मैं भी....  हाँ हमसब अपने मानवीय सफलताओं के परचम लहरायेंगे व मानवता को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाएंगे.... पुनः आप सबको दिल की गहराइयों से शुभ शुभकामनाएं... दूर जलता हुआ एक दिया भले हीं सबको रोशनी नहीं दे सकता पर अंधेरे से जूझने की ताकत तो देता हिं है इसलिए खूब दीप जलाएं, अपने दिल और दरमियाँ को रौशन करें। कवि कितने हृदयविशल होते हैं, कितने खुले दिल के होते हैं व कितने विचारवान होते हैं कि वो अपनी कल्पनाओं को ऐसे शब्दों का रूप देते हैं कि वो छंद  सदाबहार हो जाते हैं । उन रचनाओं की तेज कभी फीकी न पड़ती है, वो सदा परिस्थितियों की पहचान होती हैं व युगयुगान्तर मानवजाति को प्रेरित करते हुए मार्गदर्शन करते रहते हैं, ऐसी हिं रच...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--05

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 #अभ्युदय_से_चरमोत्कर्ष #एपिसोड--05 रावण दहन : दिखावा या सच्चाई भी !! #Me_Too  अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने का साहस इंसाफ की राह में उठाया गया शुरूआती कदम होता है इस आवाज को मिलने वाले समर्थन से तय होता है समाज आज भी कितना इंसाफ पसंद है। कार्यस्थल/सार्वजनिकस्थल पर अपमान व घुटन का अनुभव करने वाली महिलाओं की एक बड़ी आबादी सामाजिक लांछन और अन्य आकांक्षा से चुप रहती आई है लेकिन अब मुकरता का दौर है जिससे लैंगिक समानता की दिशा में संभावनाओं के नए द्वार खुल रहे हैं। लैंगिक समानता और न्याय के लिए दीर्घकालिक प्रयास जरूरी है। समाज में जागरूकता के साथ संस्थानिक प्रणाली के व्यापकता को सुनिश्चित करने की माहती चुनौती है इसके लिए महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान की गारंटी के हर संभव प्रयास किए जाने चाहिए। मौजूदा अभियान #MeToo सरकारी व गैरसरकारी संस्थानों और समाज के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर व चुनौती है। शर्म की बात है कि जिस राष्ट्र/समाज में प्रगति का मापदंड नारियों के प्रगति के मापदंड से होती है वहीं उनके साथ इतना अन्याय...!! हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी विजयादशमी को #रावण_दहन किया गया। बेश...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--04

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--04 #AgeLimit in NEETug: चिकित्साशिक्षा में परिवारवाद/वंशवाद सुबह सूरज उगने के साथ हीं जैव वनस्पतियों में हलचल शुरू हो जाती है,पत्ते अपनी बाँहें खोलने लगते हैं और फूल मुस्कुराने लगते हैं। इन्हीं के बीच एक और रंग खिलता है...बच्चों के स्कूल ड्रेस का रंग जो बिना किसी शोर~शराबे के मद्धम~मद्धम गाँव की पगडंडियाँ चलने लगता है। यह वह भारत है जहाँ बच्चे बासी भात या आधा पेट,बिना नास्ता और टिफिन के अधूरी किताब~काँपी को झोले में लटकाए सूरज के साथ दौर लगाते हैं। यह उदासीन भारत नहीं है,यह सपनों से भरा हुआ भारत है,जहां जिजीविषा है,संघर्ष है। शिक्षा के प्रति सामाजिक उत्तरदायित्व का अभाव बहुत बड़ी विडम्बना है। भले हैं आज हमारा भारतवर्ष वैश्वीकरण का भारत है,भले हीं आज हम वैश्विक बाजार की गिरफ्त में उदारवादी~पूंजीवादी तरीके से विकास की दौर में शामिल हो रहे हैं लेकिन इसकी गिरफ्त में चिकित्साशिक्षा को लेना समाज के लिए घातक होगा। इससे समाज मे हो रही विभाजन की खाई घातक होगी। ग्रामीणभारत के सुदूरवर्ती अंचलों के विद्यार्थियों और शहरों के विद्यार्थियों के शिक्षा के हर चर...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--03

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आजादी के तेहत्तर  साल…  #अभ्युदय_से_चरमोत्कर्ष  #एपिसोड--03 28.10.2018 #आरक्षण: भोग या सहारा   किसी ने क्या खूब कहा है :~   “सूतो वा सूतपुत्रो वा यो वा को वा भवाम्यहम्।  दैवायतं   कुले   जन्मः  मयायत्तं  तु  पौरुषम्॥“  अर्थात - मैं चाहे सूत हूँ या सूतपुत्र, अथवा कोई और। किसी कुल-विशेष में जन्म लेना यह तो दैव के अधीन है, मेरे पास जो पौरुष है उसे मैने पैदा किया है।  समाज के विभिन्न वर्गों के अलग अलग लोगों का आरक्षण पद्धति के प्रति अलग अलग मत है कोई कहता है होना चाहिए कोई कहता है नहीं होना चाहिए परंतु हमारा मानना है कि समाज में ऐसी परिकल्पना की आवश्यकता है जिससे समाज के वैसे लोग चाहे वह किसी जाति, धर्म, समुदाय से संबंध रखते हो जो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से वंचित रह गए हैं उन सभी वंचितों को साथ लाकर कदम से कदम मिलाकर साम्यवादी सोच के साथ सर्वसमता की भावना से संबंधित व अधिकारित कर राष्ट्र निर्माण में भागीदारी सुनिश्चित की जा सके।  सन 1882 में महात्मा ज्योति राव फुल...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--02

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#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--02 29 अक्टूबर 2018 NEETug में ऊपरी आयुसीमा : चिकित्साशिक्षा के लिए कलंक हमारा देश हिन्दुस्तान एक विकासशील देश है व विविधताओं से पूर्ण है।यहाँ लगभग 70 % आबादी गाँव में बसती है,यहां की साक्षरता दर हीं 25% है।आजादी के 70 साल बाद भी तमाम प्रकार की सामाजिक,आर्थिक व शैक्षणिक विषमताएं चरम पर हैं। जबकि  2013 में पहली बार चिकित्साशिक्षा के लिए (केवल MBBS~BDS सीटों के लिए) देश मे एकल प्रवेश परीक्षा NEETug का संचालन हुआ जिसमें 15% राष्ट्रीय कोटा सीट व राज्य की 85% सीट के लिए अलग अलग पात्रताएँ थीं ( राज्य कोटे के लिए कोई ऊपरी आयुसीमा नहीं थी ) जिससे राज्य के सुदूर ग्रामीण परिवेश में अत्यंत सामाजिक,आर्थिक व शैक्षणिक विषमताओं का दंश झेलते हुए ग्रामीण अभ्यार्थी भी चयनित होते थे,ग्रामीण क्षेत्रों में हीं अपनी सेवाएं देते थे व अन्य विषमतापोषित अभ्यार्थियों के लिए प्रेरणास्रोत बनते थे जिससे वो मानवता व राष्ट्रकल्याण में अपनी सहभागिता सुनिश्चित कर संविधान की "हम भारत के लोग" की परिकल्पना पर गर्व करते थे।  परन्तु वर्ष 2017 में परीक्षा का स्वरूप बदला...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड--01

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