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Showing posts from August, 2021

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_50

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हमारी कविता संग्रह - 02 “सत्यमेव जयते दुहरायेंगे” जन-जन में क्रांति-बीज बोने वाले राजद्रोही कहलायेंगे चोर - ठग सब एकत्रित होकर समाजवादी कहलायेंगे मूक-बधिरों की आवाज बनने वाले सज्जन मुहाजिर होंगे दलितों को घर-बेघर करने वाले पद-प्रतिष्ठा नवाजे जाएंगे वंचितों को हक़ दिलाने वाले देशद्रोही कहलायेंगे गरीब-गुरवों को बेघर करने वाले राष्ट्रवादी कहलायेंगे हाँ-में-हाँ, जी-में-जी वाले समाज में पद विशिष्ट पाएंगे रात-को-रात औ दिन-को-दिन कहने वाले तड़पाये जाएंगे सच के लिए जो मुखर होवेंगे, जो सच के साथी कहलायेंगे अभी जो कह लें दुनियाँ वाले, कल आदर्श पुकारे जाएंगे सच है, सच वालों को दर्द बहुत, आज उन्हें मिटाए जाएंगे समय जब इतिहास लिखेगा कल,तब वो शूरमा कहे जाएंगे समय की चक्की हर पल 'सत्यमेव जयते' को दुहरायेंगे साथी डरो मत जूझो असत्य से, कल जन-जन तुम्हें गाएंगे

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_49

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हमारी कविता संग्रह - 01 अनकही अनसुनी बातें  वो बातें जो अनकही थी, कही हमने और जो बातें अनसुनी थी, सुनी तुमने कौन किसी के दर्द का हम-दर्द है यहाँ कौन किसकी सुनता है, मेरी सुनी तुमने दर्द, बेचैनी, घुटन सब जाते रहे दिल से ऐसा लगा दिल को की कुछ कहा तुमने दोस्त दुश्मन अपने सभी खपा हैं हमसे हाथों को जबसे मेरे दिल पे रखा तुमने ये फूल, कलियां, भँवरे रूठे गए हैं हमसे अपने होंठों पे मेरा नाम लिया जब तुमने © हमारी अन्य कविता पढ़ने के लिए नीचे दिए लिंक पर जाएं👇 https://kavishala.in/@akshay-anand-shri

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_48

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रानी पद्मिनी के साहस और बलिदान की गौरवगाथा इतिहास में अमर है। सिंहल द्वीप के राजा गंधर्व सेन और रानी चंपावती की बेटी पद्मिनी (राजस्थान) चित्तौड़ के राजा रतनसिंह के साथ ब्याही गई थी। मुगल शासक अलाउद्दीन खिलजी किसी भी कीमत पर रानी पद्मिनी को हासिल करना चाहता था, इसलिए उसने चित्तौड़ पर हमला कर दिया। आज 25 अगस्त 1303 ई. रानी पद्मिनी ने आग में कूदकर (जौहर) जान दे दी, लेकिन अपनी आन-बान पर आंच नहीं आने दी।  जौहर का सबूत: खुदाई में राख-चूड़ियां भी मिलीं - 1958-59 में दुर्ग पर बने विजय स्तंभ के पास पुरातत्व विभाग की खुदाई में राख, हडि्डयां और लाख की चूड़ियां मिली थीं। मेवाड़ के इतिहासकार डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू के मुताबिक, पुरातत्व विभाग ने वेस्ट जोन सुपरिटेंडेंट एस सुब्बाराव के निर्देशन में विजय स्तंभ के पास खुदाई की थी।  - जुगनू बताते हैं- खुदाई में एक कुंड मिला। इसमें से मिटटी, राख और कुछ हडि्डयां मिलीं। तीन लाइन की इस रिपोर्ट में विभाग ने इससे ज्यादा कुछ नहीं लिखा। वीर रस के कवि पंडित नरेंद्र मिश्र जी जी ने एक कविता "पद्मिनी-गोरा-बादल" लिखी जिसमे वीरता की व्य...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_47

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अनेकान्तवाद दर्शन ; अनेकान्तवाद दर्शन की उपादेयता यह है कि वह मनुष्य को दुराग्रही होने से बचाता है, उसे यह शिक्षा देता है कि केवल तुम ही ठीक हो, ऐसी बात नहीं; शायद, वे लोग भी सत्य ही कह रहे हों, जो तुम्हारा विरोध करते हैं।  यह दर्शन मनुष्य के भीतर बौद्धिक अहिंसा को प्रतिष्ठित करता है, संसार में जो अनेक मतवाद फैले हुए हैं, उनके भीतर सामंजस्य को जन्म देता है, तथा वैचारिक भूमि पर जो कोलाहल और कटुता उत्पन्न होती है, उससे विचारकों के मस्तिष्क को मुक्त रखता है. अपने ऊपर एक प्रकार का विरल संदेह, विरोधी और प्रतिपक्षी के मतों के लिए प्रकार की श्रद्धा तथा यह भाव कि, कदाचित प्रतिपक्षी का मत ही ठीक हो, यह एक अनेकान्तवादी मनुष्य के प्रमुख लक्षण हैं. गाँधी जी कहते हैं ; चूंकि अनेकान्तवाद से परस्पर विरोधी बातों के बीच सामंजस्य आता है तथा विरोधियों के प्रति भी आदर की वृद्धि होती है, मेरा  अनुभव है कि अपनी दृष्टि से मैं सदा सत्य ही होता हूं, किंतु, मेरे इमानदार आलोचक तब भी मुझमें गलती देखते हैं.  पहले मैं अपने को सही और उन्हें अज्ञानी मान लेता था. किंतु अब मैं मानता हूं कि अपनी-अपनी जगह ह...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_46

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#गाँधी_का_स्वराज 🇮🇳 “स्वराज एक पवित्र शब्द है; वह एक वैदिक शब्द है, जिसका अर्थ आत्म-शासन और आत्म-संयम है. अंग्रेजी शब्द ‘इंडिपेंडेंस’ अक्सर सब प्रकार की मर्यादाओं से मुक्त निरंकुश आजादी का या स्वच्छंदता का अर्थ देता है; वह अर्थ स्वराज शब्द में नहीं है.” ...मेरा स्वराज्य तो हमारी सभ्यता की आत्मा को अक्षुण्ण रखना है. मेरे...हमारे...सपनों के स्वराज्य में जाति (रेस) या धर्म के भेदों का कोई स्थान नहीं हो सकता. अगर स्वराज्य का अर्थ हमें सभ्य बनाना और हमारी सभ्यता को अधिक शुद्ध तथा मजबूत बनाना ना हो, तो वह किसी कीमत का नहीं होगा. सच्चा स्वराज्य थोड़े लोगों के द्वारा सत्ता प्राप्त कर लेने से नहीं,बल्कि जब सत्ता का दुरुपयोग होता हो तब सब लोगों के द्वारा उसका प्रतिकार करने की क्षमता प्राप्त करके हासिल किया जा सकता है.  दूसरे शब्दों में,स्वराज्य जनता में इस बात का ज्ञान पैदा करके प्राप्त किया जा सकता है कि सत्ता पर कब्जा करने और उसका नियमन करने की क्षमता उसमें है। “वह स्वराज्य, जिसे पाने के लिए अनवरत प्रयत्न और बचाए रखने के लिए सतत जागृति नहीं चाहिए, स्वराज्य कहलाने के लायक ही...

#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_45

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जिसने “प्रतीक्षा करना” प्रतिभा को विकसित किया है वह साबित करता है कि व्यक्तिगत विकास की एक महत्वपूर्ण डिग्री तक पहुंच गया है। यह आत्म-नियंत्रण, निराशा को सहनशीलता, संयम और वास्तविकता को परिप्रेक्ष्य में देखने की क्षमता को दबा देता है। प्रतीक्षा करना एक विजय है यह केवल समय, अनुभव और स्वयं के साथ एक मरीज के काम के साथ हासिल किया जाता है। यह एक महान गुण है जो प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना करता है और उसे मजबूत करता है। यह उत्कृष्ट दृष्टिकोण के साथ बुरे समय का सामना करने की अनुमति देता है। महान दार्शनिक लाओ त्से कहते हैं ; “कौन नहीं चाहता कि वह निराश न हो। और जो निराश नहीं होगा उसका अपमान नहीं होगा। इस प्रकार, सच्चे ऋषि शांति के लिए इंतजार करते हैं, जबकि सब कुछ होता है और वे इच्छाओं को नहीं भेजते हैं। इसलिए शांति और सद्भाव कायम है और दुनिया अपने प्राकृतिक पाठ्यक्रम का अनुसरण करती है ”। शिकारी का इंतजार एक सक्रिय प्रतीक्षा है। चुनौती का हिस्सा बनें जिसका अर्थ है कि अपने शिकार को पकड़ने में सक्षम होना. उसे पकड़ने का एकमात्र तरीका यह है कि उसे छिपने से बाहर आने का सम...