#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_50
हमारी कविता संग्रह - 02 “सत्यमेव जयते दुहरायेंगे” जन-जन में क्रांति-बीज बोने वाले राजद्रोही कहलायेंगे चोर - ठग सब एकत्रित होकर समाजवादी कहलायेंगे मूक-बधिरों की आवाज बनने वाले सज्जन मुहाजिर होंगे दलितों को घर-बेघर करने वाले पद-प्रतिष्ठा नवाजे जाएंगे वंचितों को हक़ दिलाने वाले देशद्रोही कहलायेंगे गरीब-गुरवों को बेघर करने वाले राष्ट्रवादी कहलायेंगे हाँ-में-हाँ, जी-में-जी वाले समाज में पद विशिष्ट पाएंगे रात-को-रात औ दिन-को-दिन कहने वाले तड़पाये जाएंगे सच के लिए जो मुखर होवेंगे, जो सच के साथी कहलायेंगे अभी जो कह लें दुनियाँ वाले, कल आदर्श पुकारे जाएंगे सच है, सच वालों को दर्द बहुत, आज उन्हें मिटाए जाएंगे समय जब इतिहास लिखेगा कल,तब वो शूरमा कहे जाएंगे समय की चक्की हर पल 'सत्यमेव जयते' को दुहरायेंगे साथी डरो मत जूझो असत्य से, कल जन-जन तुम्हें गाएंगे