#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड44

गुरु पूर्णिमा ; 23 जुलाई 2021


“बुद्धि  जिसे  लाख  कोशिश  करने  पर  भी  नहीं  समझ  पाती, हृदय  उसे  अचानक  देख  लेता  है. विद्या  समुद्र  की  सतह  पर  उठती  हुई  तरंगों  का  नाम  है. किंतु, अनुभूति  समुद्र  की  अन्तरात्मा  में  बसती  है. अनुभूति  का  एक  कण  कई  टन  ज्ञान  से  कहीं  अधिक  मूल्यवान  है. जिसे  अनुभूति  प्राप्त  हो  जाती  है, ज्ञान का  द्वार  उसके  सामने  स्वयं  उन्मुक्त  हो  जाता  है  और  सारी  विधाएं  उसे  स्वयमेव  उपलब्ध  हो  जाती  हैं.”

~"संस्कृति के चार अध्याय"/ दिनकरजी

गुरु  वही  सच्चा  जो  हमारे  अंदर  अनुभूति  (संवेदना )  को  प्रज्वलित  करे.
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