#अभ्युदय_से_चर्मोत्कर्ष #एपिसोड_58
हमारी कविता संग्रह ;
“ बता दीजिए हमें ”
चाहने वालों से छुप-छुप के क्या छुपाना,,
बता दीजिए हमें भी दिलों में क्या है आपके
यूँ न खामोश रहकर तड़पाइये मुझे पल-पल
हम भी तो कहेंगे आपसे अपने दिल की बातें
बता दीजिए हमें…
ये वादियाँ, ये सरहदें, ये दुरियाँ-खामोशी भी
क्या खूब है आपका हर पल मुस्कुराना भी
बता दीजिए हमें…
मेरी खामोशी-बेसब्री मेरे सब्र की इंतहा है
राज की बातें हमराज से यूँ छुपाना कैसा
बता दीजिए हमें…
कुछ दिन से चुप हैं,यूँ खामोश बेवजह आप
बयां करने से भी दिल का बोझ कम होता है
बता दीजिए हमें…
मेरे करीब आइए मुझसे कहिए कानों में हौले
यूँ गैर सुन लेंगे तो बात पर बात बन जाएगी
बता दीजिए हमें…
हम हैं, आप हैं और हैं ये शुष्क फिजाये
इतने नाराज किस बात पे हैं, राज क्या है
बता दीजिए हमें…
आपको ही सुनता, आपको ही पढ़ता हूं
ये काम छुप-छुप के करके तंग आ गया हूँ
बता दीजिए हमें…
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